जब ज़िंदगी ने मोड़ा रास्ता…
राकेश एक छोटे से शहर में रहने वाला एक आम युवक था। एक समय ऐसा आया जब उसकी नौकरी चली गई, जेब खाली थी और उम्मीदें भी साथ छोड़ रही थीं। परिवार चलाना मुश्किल हो गया था, और दोस्तों के दरवाजे खटखटाने पड़े।
सिर्फ एक दोस्त खड़ा रहा...
ऐसे समय में एक ही दोस्त काम आया – अमित, जिसने बिना सवाल पूछे राकेश को 10,000 रुपये दिए। वो पैसे बहुत नहीं थे, लेकिन राकेश के लिए वो एक उम्मीद की लौ थे।
सालों की मेहनत और किस्मत ने साथ दिया...
राकेश ने वही पैसों से छोटा सा ऑनलाइन बिजनेस शुरू किया। दिन-रात की मेहनत और लगन से आज राकेश एक सफल उद्यमी बन गया है — 10 करोड़ से अधिक की कंपनी का मालिक।
लेकिन कहानी यहीं नहीं रुकी...
सफलता मिलने के बाद राकेश ने अमित को ढूंढा। उसका एक ही मकसद था —
"जिसने 10 हज़ार रुपए देकर मुझे ज़िंदा रखा, आज मैं उसे 10 करोड़ लौटाकर अपना कर्ज़ चुकाना चाहता हूँ।"
दोस्ती की कीमत पैसे से नहीं...
अमित ने मुस्कुरा कर कहा – "मुझे पैसे नहीं चाहिए, बस तू खुश रहे, वही काफी है।"
राकेश की आंखों में आंसू आ गए — क्योंकि ये दोस्ती की ऐसी मिसाल थी जो पैसे से नहीं, दिल से बनी थी।
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💬 निष्कर्ष:
यह कहानी सिर्फ एक दोस्त की नहीं, एक भाव की है — जब दोस्ती सिर्फ ज़रूरत नहीं, ज़िम्मेदारी बन जाती है।
अगर आपके जीवन में भी ऐसा कोई दोस्त है, तो उसे आज ही एक धन्यवाद कहिए।

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